ज़िन्दगी मुझे तो सुरमई शाम सी लगती है,
होती हूँ जब भी अकेली तारों की छाँव सी लगती है,
चंदा के रथ पर आती है जैसे कोई परी,
मुझको तो ऐसे कोई सलोना ख्वाब सी लगती है…..
************************
मुहोब्बत को पुल
बनाया है मैंने…!
अपने और तेरे दरमियाँ….!!
*************************
तेरी आँखों में देखा जब से खुद को,
आइने की जरूरत नही अब मुझको….!!
***************************
रफ्ता रफ्ता
वह मुझमे यूँ समाया
भूली अब मै
अपना ही पता….!!